आरएमएल के मेडिकल बोर्ड ने दी रिपोर्ट, 24 हफ्ते का भ्रूण रखने से नाबालिग की जान को खतरा

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नई दिल्ली, 06 फरवरी (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप पीड़ित एक नाबालिग की अपने 24 सप्ताह के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है। हाईकोर्ट ने यह आदेश राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) के मेडिकल बोर्ड की उस रिपोर्ट पर दिया, जिसमें कहा गया था कि भ्रूण को रखने से नाबालिग की जान को खतरा है। कोर्ट ने 24 घंटे के अंदर पीड़ित का भ्रूण हटाने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद आज आरएमएल अस्पताल ने अपनी रिपोर्ट जस्टिस विभू बाखरू की कोर्ट को सौंपी। जस्टिस विभू बाखरु ने पीड़ित से और उसके माता-पिता से अपने चैंबर में बात की और उसके बाद खुली अदालत में आकर फैसला सुनाया। कोर्ट ने आरएमएल के डॉक्टर को निर्देश दिया कि पीड़ित का भ्रूण 24 घंटे के अंदर हटाया जाए। कोर्ट ने भ्रूण का डीएनए संरक्षित रखने का आदेश दिया ताकि उसका बाद में साक्ष्य के तौर पर उपयोग हो सके।
नाबालिग 16 साल की है। उसने अपनी मां के जरिये दायर याचिका में कहा था कि उसके पेट में पल रहा भ्रूण उसके जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है । नाबालिग की ओर से वकील प्राची निर्वाण और अन्वेष मधुकर ने कोर्ट को बताया कि उसके पेट में भ्रूण का पता 25 जनवरी को एक सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान चला। उसके बाद स्वरूप नगर थाने में रेप की शिकायत दर्ज कराई गई। डॉक्टरों ने कहा था कि भ्रूण 20 सप्ताह से ज्यादा का है, इसलिए उसे हटाने के लिए कोर्ट की अनुमति लेनी होगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले ही हफ्ते केंद्रीय कैबिनेट ने एमटीपी एक्ट में संशोधन करने को हरी झंडी दे दी। प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक भ्रूण हटाने की अधिकतम सीमा 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी गई है। 24 हफ्ते की अधिकतम सीमा उनके लिए की गई है, जो रेप पीड़ित हों, नाबालिग या दिव्यांग हों।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत 


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