हिमालयन चुनौतियों के बीच भाजपा का हित हितानंद के जिम्मे

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देवदत्त दुबे
पिछले दो दशक मैं भाजपा के लिए 2023 की चुनौती सबसे बड़ी मानी जा रही है पार्टी के अंदर और पार्टी के बाहर चुनौतियों का अंबार है और इन चुनौतियों के बीच भाजपा का हित साधने की चुनौती हितानंद को सौंपी गई है प्रदेश में सह संगठन महामंत्री के रूप में कार्य कर रहे हितानंद शर्मा को संगठन महामंत्री बनाया जाना पार्टी का शर्मा के प्रति विश्वास है तो शर्मा के लिए कसौटी खरे उतरने की चुनौती
दरअसल 1 वर्ष बाद 2023 में जब प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव होंगे तब तक भाजपा को आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से पार होकर मैदान में आना होगा इस समय इन 1 वर्षों के भीतर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज के चुनाव हो सकते हैं नगरीय निकाय के चुनाव भी होने की संभावना है और पार्टी के अंदर संगठन के चुनाव भी होना है यह तीनों चुनाव ऐसे हैं जिसमें स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं के बीच ही मतभेद अनूप जाता है और पार्टी यदि 1 वर्ष में इन चुनाव को नहीं कराती तब भी एक वर्ग पार्टी से नाराज हो जाता है जो चुनाव चाहता है खासकर पंचायती राज के चुनाव में जो कि स्थगित हो चुके हैं पहले चरण में जिन प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किए और चुनाव प्रचार में पैसे भी खर्च कर चुके हैं वह चाहते हैं कि चुनाव हो इसी तरह नगरी निकाय के चुनाव भी लगातार टाले जा रहे हैं इन्हें भी कराना पार्टी के लिए जरूरी हो गया है यही नहीं 2023 मैं पार्टी जब जाएगी तब उसे पिछले 18 वर्षों की सरकार की एंटी इनकंबेंसी का भी सामना करना पड़ेगा सबसे बड़ी चुनौती पार्टी में टिकट वितरण की रहेगी पार्टी युवाओं को मौका देना चाहती है ऐसे में जिन वरिष्ठ विधायकों के टिकट कटेंगे उनको संभालना भी संगठन महामंत्री के लिए मुश्किल भरा काम है खासकर उन सीटों पर टिकट वितरण के समय अतिरिक्त सतर्कता और सावधानी रखनी पड़ेगी जहां सिंधिया के साथ आए लोगों को टिकट देना है और पार्टी के दावेदारों को समझाना है पिछले दिनों जब 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव हुए थे तब यहां के पुराने भाजपा के दावेदार इस कारण भी मान गए थे कि अभी सरकार पार्टी की बनी रहे यह जरूरी है 2023 में देखा जाएगा अब यह लोग भी टिकट के लिए दावेदारी करेंगे
बहरहाल निवर्तमान संगठन महामंत्री सुहास भगत के साथ पिछले डेढ़ वर्षो से सह संगठन महामंत्री के रूप में संगठन का कामकाज देख रहे इस हितानंद शर्मा को संगठन महामंत्री बनाए जाना शर्मा के लिए जहां किसी चुनौती से कम नहीं वही पार्टी की उम्मीदें भी कुछ ज्यादा ही है प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच तालमेल बनाते हुए सत्ता और संगठन का समन्वय चुनावी दृष्टि से तैयार करना शर्मा की प्राथमिकता में रहेगा जिस तरह से पार्टी ने समर्पण निधि का लक्ष्य बनाया है और वोट प्रतिशत 51% तक ले जाना का लक्ष्य है उस लिहाज से परिस्थितियां पार्टी के अंदर है और ना पार्टी के बाहर है विपरीत परिस्थितियों में पार्टी के महत्वपूर्ण पद का दायित्व मिलने के बाद हितानंद शर्मा ने अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी है
प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के साथ शनिवार की शाम बैठकर उन्होंने आगे की योजना बनाई है जिस तरह से सरकार 25 से 27 मार्च तक पचमढ़ी में चिंतन करेगी उसी तरह संगठन भी एक रोड मैप बनाएगा जिससे प्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेसी मिलने वाली चुनौतियों का मुकाबला हो सके और पार्टी के अंदर भी अनुशासन और सक्रियता बढ़ाई जा सके
कुल मिलाकर 2018 के विधानसभा के चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेश कि जहां सत्ता में वापसी की उम्मीदें हैं वही सत्तारूढ़ दल भा जा पा सतर्क और सावधान है ऐसे दौर में हितानंद शर्मा को पार्टी का संगठन महामंत्री बनाया जाना शर्मा और पार्टी के लिए चुनौती भी है और कसौटी पर खरा भी उतरना है


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