फर्जी मार्कशीट के जरिए कांस्टेबल की नौकरी कर रहे याची पर 10 हजार का हर्जाना

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प्रयागराज, 03 फरवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी मार्कशीट से पुलिस कांस्टेबल की नौकरी पाने वाले वाराणसी के सरताज खान कि याचिका 10 हजार रुपए हर्जाने के साथ खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कहा है कि याची ने नौकरी पाने के लिए फर्जी हस्तलिखित मार्कशीट तैयार कर दाखिल की। जबकि बोर्ड द्वारा कंपयूटराइज्ड मार्कशीट दी जाती है। कोर्ट ने कहा कि याची को नौकरी से हटाने के एसएसपी वाराणासी के आदेश पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा मूल पत्रावली में जो जन्म तिथि लिखी गई है उसके आधार पर वह 2006 में कांस्टेबल भर्ती में आवेदन करने के योग्य नहीं था। इसलिए फर्जी मार्कशीट पर उसने आवेदन दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सरताज खान की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार पांडेय ने प्रतिवाद किया। इनका कहना था कि याची ने फर्जी मार्कशीट से नौकरी प्राप्त की है। कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा परिषद की मूल पत्रावली तलब की। जिसमें याची की जन्म तिथि 10 अप्रैल 1986 दर्ज की गई है। जबकि नौकरी पाने के लिए जो मार्कशीट दी गई है, उसमें जन्मतिथि 10 अगस्त 1986 दर्ज है। जन्म तिथि में परिवर्तन कर धोखाधड़ी की गयी है। 
याची का कहना था कि उसने हाईस्कूल की मार्कशीट में अपने नाम के सामने कुमारी लिखे होने व गलत जन्मतिथि दर्ज होने की संशोधन अर्जी दी थी। उसे बोर्ड द्वारा संशोधित मार्कशीट दी गई। जिसमें उसके नाम से कुमारी शब्द हटा दिया गया और उसकी जन्मतिथि भी संशोधित कर दी गई थी। लेकिन जब बोर्ड का रिकार्ड तलब किया गया तो उसमें पाया गया कि केवल नाम के आगे कुमारी शब्द हटाया गया था और जन्म तिथि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया था। जिसे कोर्ट ने कहा यह नौकरी पाने के लिए फर्जीवाडा किया गया है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।      सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन पर सरकारी आवास खाली कराने को लेकर हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से मांगा हलफनामा .            

हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/राजेश


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