ट्रम्प के भारत दौरे के निहितार्थ

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वाशिंगटन,  22 फ़रवरी (हि.स.)।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का भारतीय दौरा देश, काल और परिस्थिति की दृष्टि से ऐसे समय में हो रहा है, जब दोनों देश  ‘तुम भी जीते, हम भी जीते’ वाली स्थिति में हैं। ट्रम्प के सत्तारूढ़ होने के बाद पिछले तीन सालों में उनकी पहली भारत यात्रा से पहले राजनयिक एवं रक्षा संबंधों में जो प्रगति हुई है, वह दक्षिण पूर्व एशिया में चीन की दुखती रग पर चोट है, तो पाकिस्तान अभी तक यह समझ नहीं पा रहा है कि उसके साथ हो क्या रहा है। 

जानकार कहते हैं कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रम्प के बीच एक ख़ासी कैमिस्ट्री है कि ट्रम्प  सपत्नी  लाखों भारतीयों के स्वागत के आनंद में डूबे हुए हैं। यहां गुजराती समुदाय ट्रम्प का मन ही मन आभार जता रहा है कि वह अपने संक्षिप दौरे की मेज़बानी का रसास्वादन अहमदाबाद में लेंगे। मोदी जी अपने ख़ास मेहमानों में चीन के राष्ट्रपति शी जिन पींग और इज़राइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भी साबरमती आश्रम ले जा चुके हैं। 

डोनाल्ड ट्रम्प और मोदी के मधुर संबंधों की शुरुआत ‘टू प्लस टू मंत्री’ स्तरीय वार्ता से पैदा हुई है। हालांकि डोनाल्ड ट्रम्प के सत्तारूढ़ होने के बाद व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रम्प की पहली मुलाक़ात में संबंधों की नींव पड़ गई थी। इन संबंधों में उस समय नया मोड़ आया, जब भारत, जापान और अमेरिका के बीच ‘लाजिस्टिक एक्सचेंज संधि ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए और सामान आधार पर सुरक्षा संबंधों के तहत ‘टाइगर ट्रायंफ’ सैन्य अभ्यास में तीनों देश क़दमताल करते आगे बढ़े। अमेरिका ने पहले डोकलाम-2017 और फिर पुलवामा-2019 में भारत की मदद की। चीन की भरपूर  कोशिश के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैश ए मुहम्मद का सरगना मसूद अजहर बेनक़ाब हुआ और फिर फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला जा सका। बेशक, इस सफ़र में भारत-अमेरिका के बीच सामरिक संबंध काम आए। भारतीय नौ सेना के लिए बहूद्देशीय हेलीकाप्टर, आधुनिकतम हेलीकाप्टर अपाचे तथा सशस्त्र ड्रोन आदि का मिलना दोनों के बीच संबंधों में मिठास घोलने से कम नहीं था। चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के जवाब में अमेरिका ने ब्ल्यू डाट नेटवर्क के ज़रिए हिंद प्रशांत महासागर के देशों में ‘स्वछंद और मुक्त’ व्यापारिक रिश्तों पर सहमति बनी, वह चीन की व्यापारिक रणनीति पर एक प्रहार सिद्ध हुआ। 

ट्रम्प के भारत में मात्र 36 घंटों के दौरे में निश्चित तौर पर आपसी संबंधों में सीमा पार आतंकवाद, साइबर अपराध, आणविक, साइंस और टेक्नोलाजी, अंतरिक्ष और ऊर्जा पर बातचीत होना स्वाभाविक है। इस बातचीत से आपसी संबंधों में नए द्वार खुलेंगे। इसके लिए ट्रम्प के साथ उनकी टीम में सात ऐसे नायाब भारतीय-अमेरिकी अधिकारी भारत आ रहे हैं, जो भारतीय संस्कारों से आज भी उतना जुड़े हैं। ट्रम्प के साथ आ रहे इन अधिकारियों को विभिन्न क्षेत्रों में ख़ासी पैठ है, जिस से उम्मीद की जा रही है कि साइंस और प्रोध्योगिकी के साथ साथ अंतरिक्ष में दोनों देशों के वैज्ञानिक कुछ नया करेंगे। ये सभी ऐसे अधिकारी है, जिन से  दोनों देशों के बीच सतत संबंधों की गहराइयों को जानने समझने की उम्मीद की जा सकती है। इन संबंधों में एक बड़ी ‘ट्रेड डील’ की व्यथा कथा को एक बार नज़रंदाज कर भी दिया जाए, तो दोनों देशों के बीच  आधा दर्जन समझौतों की गरमाहट को भुलाया नहीं जा सकता। जानकार बताते हैं कि भारत की भी कोशिश होगी कि ट्रम्प ख़ाली हाथ स्वदेश नहीं लौटे। वह डिफ़ेंस डील के साथ  भारतीय जनमानस के स्नेह का एक ऐसा संदेश ले कर लौटे कि घरेलू स्तर पर उन्हें राजनैतिक लाभ मिल सके।

हिन्दुस्थान समाचार/ललित बंसल   


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