इनामी नक्सली सिद्दू कोड़ा की पुलिस हिरासत में मौत
रांची,23 फरवरी( हि.स.)। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के बिहार झारखंड सीमांत स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य सह पूर्वी बिहार पूर्वोत्तर झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी कमांडर सिद्दू कोड़ा की पुलिस हिरासत में शनिवार देर रात मौत हो गई। उसे बिहार एसटीएफ ने दुमका से शुक्रवार को एक सहयोगी के साथ गिरफ्तार किया था।शनिवार की रात बिहार के जमुई में पटना की एसटीएफ सिद्धो कोड़ा को लेकर छापेमारी कर रही थी। इसी दाैरान उसके पेट और सीने में दर्द हुई। इलाज के दाैरान उसकी मौत हो गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार कोड़ा झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बेटे की हत्या के साथ ही सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट हीराकांत झा की हत्या में भी शामिल रहा है। यह हथियार हुए थे बरामद
10 लाख के इनामी सिद्दू कोड़ा के पास से पुलिस ने एक एके 47, एक इंसास, एक पुलिस राइफल, 16 इंसास की गोलियां, 11. 303 बोर की गोलियां, एक हैंड ग्रेनेड, पिट्ठू, नक्सल साहित्य ,दवाई और दैनिक उपयोग की वस्तुएं बरामद की गई थी।
70 से अधिक केस थे दर्ज
झाझा एसडीपीओ भास्कर रंजन ने बताया कि कोड़ा के खिलाफ लगभग 70 से भी अधिक केस विभिन्न थानों में दर्ज थे।इस नक्सली की गिरफ्तारी दुमका से हुई थी जो दुमका में भी नक्सली वारदात को अंजाम देने वाला था।गिरफ्तार नक्सली जिसकी मौत पुलिस अभिरक्षा में तबियत बिगड़ने से बताई जा रही है उस पर जमुई और झारखंड के थानों में कई केस दर्ज हैं। दो दशक से था सक्रिय
जमुई जिले के खैरा के जंगलों में रहने वाला सिद्धू कोड़ा नक्सली दस्ते में 1998 से ही सक्रिय रहा था । जोनल कमांडेंट सिद्धू कोड़ा पर खैरा थाना में कई नक्सलवाद की घटनाओं का अंजाम देने का प्राथमिकी दर्ज है। 1998 में खैरा थाना के दीपकरहर में बारूदी सुरंग विस्फोट कर एक पेट्रोलिंग मजिस्ट्रेट सहित दो लोगों की हत्या कर दी थी तथा 3 जवानों की बंदूकें लूट ली गईं थीं। साल 2003 के अगस्त माह में हरखार मुखिया गोपाल साव हत्याकांड, अगस्त 2003 डीएम-एसपी के काफिले पर हमला जिसमे एक पुलिस इंस्पेक्टर की शहीद हुए थे और 5 सरकारी वाहनों में आग लगाई गई। 24 अप्रैल 2005 में एकतरवा गांव में दो लोगों की नृश़ंस हत्या, 5 जून 2007 को नक्सलियों ने गरही स्थित सिंचाई विभाग के निरीक्षण भवन को डायनामाइट से बम विस्फोट कर उड़ा दिया था जिसमें कोड़ा को अभियुक्त बनाया गया था। पुलिस बल पर हमले में था माहिर
कोड़ा ने 9 फरवरी 2009 को संत रैदास के मंदिर प्रांगण में पुलिस बल पर हमला किया था जिसमें नवादा जिले के कौवाकोल थानाध्यक्ष समेत 10 जवान शहीद हो गए थे। 2 मार्च 2011 को गरही में सिंचाई भवन एवं आइबी एवं अन्य सरकारी भवन को जेसीबी से क्षतिग्रस्त करने में, खलारी गांव निवासी रीतलाल यादव की हत्या ,खैरा ब्लॉक एवं खैरा पावर सबस्टेशन डायनामाइट से उड़ा कर ध्वस्त कर दिया था।इसी दौरान नक्सली बंदी के दौरान गिदेश्वर बालू घाट पर 12 ट्रकों को आग के हवाले कर दिया था। खैरा थाना पुलिस की गश्ती गाड़ी को गिद्धेश्वर जंगल में हमला जिसमें अवर निरीक्षक जेके सिंह की मौत घटनास्थल पर हो गई थी। इसमें एक अवर निरीक्षक कमलेश कुमार गंभीर रूप से घायल भी हुए थे।लखारी गांव में मुठभेड़ के दौरान सीआरपीएफ कमांडेंट हीरा कांत झा शहीद हुए थे। कोड़ा ने 26 जनवरी 2013 को बादल डीह पुल पर निर्माण कर रहे मजदूरों को अगवा कर 3 दिन के बाद संवेदक से लेवी लेकर रिहा किया था एवं 20 सितंबर 2013 को पुलिस बल पर हमला कर एसटीएफ के एक जवान की हत्या परासी में निर्माणाधीन सामुदायिक भवन को डायनामाइट से विस्फोट कर उड़ा दिया था।
हिन्दुस्थान समाचार/विकास